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२७ जुलाई का दिन हिन्दोस्तान के लिए एक काला दिन बनकर आया. सुबह से सारे टेलीविज़न चैनलों पर पंजाब में आतंकवादी हमला छाया हुआ था. जो निसंदेह बहुत ही दुखद और निंदनीय था. इस हमले में हमने बहुत से निर्दोष हमवतन लोगों को खोया. मंन खिन्न था, उस पर शाम तक अब्दुल कलाम की मृत्यृ की खबर ने बिलकुल ही झंझोर दिया. जिसने भी सुना उसके मुह से हाय ही निकला.
अब्दुल कलाम जी का जन्म १५ अक्टूबर १९३१ को रामेश्वरम, तमिल नाडु में एक साधारण परिवार में हुआ था.इनके पिता जैनुलाब्दीन न तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले थे। इनके पिता मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। अब्दुल कलाम सयुंक्त परिवार में रहते थे। यह स्वयं पाँच भाई एवं पाँच बहन थे और घर में तीन परिवार रहा करते थे। अब्दुल कलाम के जीवन पर इनके पिता का बहुत प्रभाव रहा। वे भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उनकी लगन और उनके दिए संस्कार अब्दुल कलाम के बहुत काम आए।
डॉक्टर कलाम अपने व्यक्तिगत जीवन में पूरी तरह अनुशासन शाकाहार और ब्रह्मचर्य का पालन करने वालों में से थे। ऐसा कहा जाता है कि वे क़ुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे। राजनीतिक स्तर पर कलाम की चाहत थी कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका विस्तार हो और भारत ज्यादा से ज्याद महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाये। भारत को महाशक्ति बनने की दिशा में कदम बढाते देखना उनकी दिली चाहत थी. उन्होंने कई प्रेरणास्पद पुस्तकों की भी रचना की और वे तकनीक को भारत के जनसाधारण तक पहुँचाने की हमेशा वक़ालत करते थे बच्चों और युवाओं के बीच डाक्टर क़लाम अत्यधिक लोकप्रिय थे ।
वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपने आपको किसी जात, परंपरा और किसी भी समाज की रीतियों से ऊपर पहुंचा दिया था. उनको देखकर मुहम्मद इक़बाल की चन्द पंक्तियाँ अपने आप ही ज़ेहन में आ जातीं हैं ,” खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले खुदा बन्दे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है”.
हम सब अपने बचपन से एक शक्ति को मानते हैं कोई उसको भगवान, कोई अल्लाह, कोई किसी और नाम से बुलाता है. साथ ही हम यह मान कर चलते हैं कि वह शक्ति हमारे गलत कर्मों के लिए हमको दण्डित करती है और अच्छे कर्मो के लिए हमको पुरस्कृत करती है. मैं उस शक्ति से पूछना चाहती हूँ कि इस तरह के विरले व्यक्तियों को और अधिक आयु देकर पुरस्कृत क्यों नहीं करती. इस तरह के व्यक्तियों को हमारे समाज को बहुत जरुरत है.यह हमारे आनेवाले पीढ़ियों के लिए प्रेरणासोत्र हैं.
अंत में,हम अपने इतिहास में कई महान व्यक्तियों के बारे में पढ़ते हैं लेकिन मैं अपने आप को भाग्यशाली समझती हूँ कि मुझे इस तरह के व्यक्ति को अपने काल में देखने का मौका मिला. अगर मेरा यह लेख उनको श्रद्धांजलि देने के एक प्रतिशत भी काम आये तो मैं अपने आप को धन्य समझूंगी.
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