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माँ

Mera Blog
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माँ के विषय में एक दिन बाद कुछ लिखने के पीछे मेरा भी एक तर्क है. मेरा मानना है कि कम से कम इस रिश्ते को किसी दिन से नहीं बांधना चाहिए. पता नहीं भगवान होता है या नहीं लेकिन किसी बच्चे के पैदा होने के साथ ही वह अपने भगवान के हाथों में होता है जो उसकी माँ होती है. वह बच्चे की दैनिक दिनचर्या से लेकर उसके भले बुरे सबका जिम्मा अपने ऊपर ले लेती है.
बच्चा जब हँसता है तो वह हँसती है, जब वह रोता है तो माँ की नींद उड़ जाती है. उसको सिर्फ एक दिन मदर्स डे के दिन याद करके हम उसके अहसानों का बदला नहीं चुका सकते.
मैंने भी अपनी माँ की नज़रों से इस दुनिया को देखा है. उसने मुझे इस समाज के अच्छाइयों एवं बुराइयों से अवगत कराया है. सबसे छोटा बच्चा होने के नाते मै उसके कुछ ज्यादा ही करीब थी. मिडिल क्लास होने के नाते हमारे पास पैसा खर्च करने की भी कुछ सीमाएं थीं जिसका मुझे पूरा अहसास था.कई बार जब मै अपनी माँ के साथ शॉपिंग करने जाती थी तो मेरे बिना कहे वह समझ जाती थी कि मुझे क्या चाहिए.फिर मेरे लाख मना करने पर भी वह मूल्य की परवाह किये बगैर मुझे वह सामान दिलवा देती थी. अब मेरी समझ में आता है कि मेरी उस शापिंग का खामियाजा मेरी माँ को कितने दिनों तक भुगतना होता होगा.
जब मेरा कभी किसी बात पर माँ से झगड़ा हो जाता था और मै रूठ जाती थी तो माँ सिर्फ इतना ही कहतीं थीं “जब माँ बनोगी तो मालुम पड़ेगा.” आज जब मेरी बेटी मुझसे रूठ जाती है तो मुझे माँ के यही शब्द याद आ जातें हैं.
शादी के बाद जब भी मेरा जन्म दिवस होता था तो सुबह-सुबह मेरी कॉल बेल बजती थी और मेरी माँ कुछ न कुछ गिफ्ट लेकर मुस्कुराते हुए मेरे सामने खड़ी होतीं थीं.
कई बार गुस्से से जब मै कुछ बोल देती थी तो वह कहतीं थीं, ” जब मै नहीं होउंगी तब तुम्हे माँ की कीमत पता चलेगी.” आज जब वह हमारे बीच नहीं हैं तो दुनिया की सबसे बड़ी कमी मुझे यही दिखाई देती है. दिन रात माँ की यादें मेरे मन-मस्तिष्क में अंकित रहतीं हैं.
आज कई बार अपनी गलती का एहसास होता है लेकिन अब मैं अपनी माँ को सॉरी नहीं बोल सकती क्यूंकि उनको मैंने हमेशा के लिए खो दिया है.
माँ का प्यार किसी मदर्स डे का मुहताज नहीं है.मै रोज अपनी माँ को याद करती हूँ. रोज मेरे लिए मदर्स डे होता है. माँ से ज्यादा आपका हित सोचने वाला मेरी नज़र में इस संसार में कोई नहीं होता. आपकी नज़रों को पढ़ने की क्षमता माँ के अलावा किसी और में नहीं होती. माँ बच्चे को कुदरत द्वारा दिया गया एक अमूल्य उपहार है. माँ का ऋण तो चुकाया ही नहीं जा सकता.

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