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भारत में कुछ सालों पहले शुरू हुए वैलन्टाइन डे ने अब अपने पैर मजबूती से जमा लिए हैं.फरवरी माह के शुरू होते ही हर तीसरा, चौथा व्यक्ती वैलन्टाइन डे के बारे में कुछ ना कुछ बोलता नज़र आयेगा. यहाँ तक कि बिजनिस चैनल के एन्कर भी वैलेंटाईन डे के लिए बधाई देते नजर आते हैं.
ऐसा नहीं है कि जब से भारत में वैलन्टाइन डे मनाना शुरू हुआ है तभी से यहाँ लोगों ने प्रेम करना शुरू किया है बल्कि इतिहास के पन्ने राधा-कृष्ण,हीर-राँझा,शीरी-फरहाद जैसी कई प्रेम कहानियों से रंगे हुए हैं.
प्रेम का प्रतीक ताजमहल एक मकबरा है जो भारत के एक शहर आगरा में स्थित है.मुग़लबादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताजमहल की याद में ताजमहल का निर्माण करवाया था.मुमताज़ महल की मृत्यु सन् १६३१ में अपने १४वें बच्चे को जन्म देते समय हुई थी. ताजमहल के पूरा होने के तुरंत बाद ही, शाहजहाँ को अपने पुत्र औरंगजे़ब द्वारा अपदस्थ कर, आगरा के किले में नज़रबन्द कर दिया गया। शाहजहाँ की मृत्यु के बाद, उसे उसकी पत्नी के बराबर में ताजमहल में दफना दिया गया था प्रशंसित पर्यटन स्थलों की सूची में ताजमहल सदा ही सर्वोच्च स्थान लेता रहा है। यह सात आश्चर्यों की सूची में भी आता रहा है। अब यह आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों में प्रथम स्थान पाया है।
आजकल कई जोड़ों में प्यार सिर्फ शादी तक ही सीमित रहता है. शादी के बाद वह प्रतिदिन की कलह में बदल जाता है और कई बार इस प्यार की परिणिती तलाक या मौत में भी होती है. जबकी शाहजहाँ ने उस पत्नी की याद में ताजमहल बनवाया था जिसकी मृत्यु उसके १४वें बच्चे को जन्म देते समय हुई थी.यह अलग बात है कि शाहजहाँ के और भी कई रानियाँ थीं लेकिन ये उस दौर में स्वीकार्य हुआ करता था.
पचास-साठ के दशक में प्यार का एक पवित्र और निश्छल रूप देखने को मिलता था जो उस समय की फिल्मों एवं गानों में भी प्रदर्शित होता था.जिनमे से कुछ गाने इस प्रकार हैं:-
१….सिर्फ एहसास है ये रूह से महसूस करो, प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो.
२…..अगर मुझसे मुहब्बत है मुझे आपने सारे गम दे दो, इन आँखों का हर इक आँसू मुझे मेरे सनम दे दो.
३….जिन्दगी ने कर दिया जब भी उदास आ गए घबरा के हम मंजिल के पास…
४….होंठ पर लिए हुए दिल की बात हम
जागते रहेंगे और कितनी रात हम,मुक्तसर सी बात है तुमसे प्यार है.
उस दशक में जोड़े प्यार को सारी जिंदगी निभाते थे. कई प्रसिद्ध जोडियाँ जैसे नर्गिस-सुनील दत्त,नवाब पटौदी-शर्मीला टैगोर,कवयित्री अमृता प्रीतम और पेंटर इमरोज़ इत्यादि इसका उदहारण हैं. स्वयं अमृता प्रीतम के शब्दों में:-
“तेरे इश्क के एक बूँद इसमें मिल गयी थी,
इसलिए मैंने उम्र की सारी कड़वाहट पी डाली”.
आज प्यार के मायने बदल गए हैं. आज प्यार पार्कों में,रेस्टोरेंट में, मॉल में,सड़कों के किनारे,बाइक पर,कार में दिखाई देता है.आज एक के साथ, मन नहीं मिला तो कल दूसरे के साथ.इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि आज के दौर में सच्चा प्यार करने वाले नहीं है लेकिन गिने चुने ही हैं.
प्यार एक एहसास है जिसे सिर्फ महसूस किया जाता है. समय के साथ बदल जाने को प्यार का दर्जा नहीं दिया जा सकता. वह सिर्फ एक आकर्षण मात्र है. प्यार करने से पहले प्यार और आकर्षण के बीच का फर्क समझना बहुत जरूरी है.
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