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जब कभी युसूफ पठान को चौके-छक्के लगाकर भारतीय क्रिकेट टीम को जिताते हुए देखती हूँ तो मन में एक ही ख़याल आता है कि यह भी तो हिन्दुस्तानी है. कभी शाहरुख खान, कभी सलमान खान, कभी आमिर खान की फ़िल्में जब सुपरहिट होती हैं तो मन कहता है यह भी हिन्दुस्तानी है.जब एक मौलाना मदनी, मुशर्रफ को करारा जवाब देकर उनकी आवाज़ बंद कर देता है वह भी हिन्दुस्तानी है.
यदि यह सब बातें सच हैं तो कुछ लोग अपने स्वार्थों के कारण हमारे बीच कैसे भेदभाव और नफरत पैदा कर देते हैं.हम क्यूँ किसी व्यक्ती को उसके धर्म के कारण अपने से अलग समझने लगते हैं. भारतवर्ष एक है यहाँ हर हिन्दुस्तानी का दिल अपने देश के लिए धड़कता है. यदि हमारा देश एक है तो हम एक क्यूँ नहीं रह सकते.
प्रत्येक इंसान अच्छाई और बुराई का मिश्रण है. हमारे अंदर प्रतिदिन अच्छाई और बुराई के जंग जारी रहती है.जिस दिन अच्छाई जीत जाती है उस दिन हम अच्छे आदमी बन जाते हैं. उसी प्रकार बुराई के जीतने पर हम बुरे इंसान बन जाते हैं.फिर हम सिर्फ धर्म के नाम पर किसी को अच्छा और बुरा कैसे कह सकते हैं.खून किसी का भी बहे उसका रंग सिर्फ लाल ही होता है.जब प्रकृती हमारे बीच भेदभाव नहीं करती तो हमें यह अधिकार किसने दिया?
यदि भेदभाव करना है तो अच्छे और बुरे व्यक्ती में करना चाहिए.वह किसी भी धर्म और समाज में हो सकता है.यदि विरोध करना है तो बुरे कामों का विरोध करना चाहिए.जब हम अपने धर्म के साथ-साथ दूसरे धर्मों का भी सम्मान करते हैं तभी हम महान होते हैं.
भारत एक महान देश है. मुझे भारतवासी होने पर गर्व है.
यह मेरी निजी राय है.आप अपनी राय से जरूर अवगत कराएं.धन्यवाद.
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