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समय रुकता नहीं

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जब मै चौथी कक्षा मे थी तब मेरी आर्ट की टीचर ने एक घड़ी का चित्र बनवाया था जिसके नीचे लिखा था “समय रुकता नहीं”. साथ ही साथ हमे समय का महत्त्व भी समझाया था.तब से आज तक वह चित्र मेरे अंतर्मन में अंकित है.कई बार समय का बेहतरीन उपयोग कर लेती हूँ (जैसे इस समय कर रही हूँ), कभी चूक भी जाती हूँ और बाद मे अफ़सोस करती हूँ परन्तु बीता समय कभी भी वापस नहीं आता.कितनी बड़ी विडंबना है हमारी कि यदि कोई हमसे रुपए, चाहे वोह दस हो या लाख रूपये, तो हम दस बार सोचने के बाद यह फैसला करते हैं कि देना है कि नहीं लेकिन यदि कोई कहता है थोड़ी देर मेरे साथ चलो या फालतू में आपके साथ बैठकर अपना गौसिप का पिटारा खोल देता है तो हम अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण घंटे उस पर कुर्बान कर देते हैं.जबकि कहा भी गया है खोया हुआ पैसा तो फिर भी वापस आ जाता है लेकिन खोया वक़्त कभी वापस नहीं आता.यदि ऐसा होता तो उसकी कीमत बहुत ज्यादा होती और पैसेवाले व्यक्ति गरीबों से मुहमांगी कीमत पर खरीद लेते.माइकल फैराडे जिन दिनों पुस्तकों पर जिल्द बांधने का काम करते थे, उन दिनों से जो समय बचता,उसमे वह वैग्यअनिक प्रयोग किया करते थे. एक समय उन्होंने अपने एक मित्र को लिखा था- ‘मुझे समय की आवश्यकता है. क्या ही अच्छा होता की मै वर्तमान श्रीमंतो के बचत के घंटे- नहीं-नहीं, दिनों को -सस्ते मूल्य पर खरीद सकता.’
इसके साथ ही मुझे अपनी एक प्रिये सखी की याद आ गयी, जिनके पति एक जाने-माने ज्वेलर हैं और बहुत बिज़ी रहतें हैं. पत्नी बिना काम के बिजी रहतीं हैं. सारे दिन मेहमानों का तांता लगा रहता है पूछो तो कहती हैं,”क्या करूँ सारे दिन मेहमान आते रहते हैं” परन्तु यदि मेहमान न आयें तो वोह और ज्यादा परेशान रहती हैं और जो बाकी बचे हुए रिश्तेदारों को फोन करतीं हैं और कहतीं हैं,” बहुत दिन हो गए तुम्हे देखे” यानी मेहमान आयें तो परेशान न आयें तो उससे ज्यादा परेशान.
यदि हमे स्वयं ही समय की कदर करना नहीं आता तो हम अपनी अगली पीढ़ी को कैसे उसकी महत्ता समझायेंगे.मेरा कहने का मतलब यह कतई नहीं है की सिर्फ काम ही काम करते रहे बल्कि बीच बीच में समय निकाल कर कुछ मनोरंजन भी करते रहे ताकि अगली बार दोगुनी रफ़्तार से काम कर सकें.
‘दिन’ प्रतिदिन एक दोस्त के रूप में आता है यदि हम उसका उपयोग नहीं करेंगे तो वह चुपचाप वापस लौट जायेगा.
कितने ही महान व्यक्ती अपने छोटे-छोटे समयों का उपयोग करके महान बन गए हैं.
*सुप्रसिद्ध अंगरेजी कवि मिल्टन ने ‘पैराडाइस-लौस्ट’जब लिखा था तब वह ब्रिटिश ‘कौमनवेअल्थ’और ‘प्रोतैक्टोरेट’ के मंत्री थे.
*गैलीलेओ एक डॉक्टर था परन्तु उसने अपने समय का इस प्रकार लाभ उठाया की पूरा संसार उसे जानता है.
*कवि बर्न्स ने विश्व-साहित्यकी अपनी अमरक्रती खेतों में काम करते हुए प्रदान की थी.
यदि आपके पास पूरे दिन में एक घंटा भी निकाल लें और कोई नया काम सीखें
तो आप कुछ ही दिनों में पारंगत हो जायेंगे.
*चार्ल्स फ्रास्ट एक चर्मकार था.वह नियमित रूप से प्रतिदीन एक घंटा अध्ययन करके अमेरिका में मैथ्स का सबसे बड़ा आचार्य बन गया था.
*जॉन हंटर और नेपोलियन केवल चार घंटे ही सोया करते थे.
*टॉमस अल्वा एडीसन तो केवल तीन घंटे ही सोते थे.
*पंडित जवाहरलाल नेहरु भी रात में काफी कम सोते थे.
यदि हम समय न होने का बहाना बनातें हैं तो किसी दूसरे को नहीं अपने आप को ज्यादा धोखा देते हैं.अपने सामने की घडियों को पकड़कर उनसे कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करनी चाहिए.

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