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14 नवंबर यानि बाल दिवस.यह चाचा नेहरु या जवाहरलाल नेहरु का जनम दिवस है और इसको बाल दिवस के रूप में मनाते हैं. यह हम बचपन से सुनते और मनाते आये हैं. इस दिन स्कूलों एवं संस्थानों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जातें हैं. अगले दिन यानि 15 नवंबर को हम सबकुछ भूल कर अपने कामों में लग जाते हैं.
अब सवाल यह उठता है कि क्या हमें बाल दिवस को बाकी त्योहारों के समान सेलीब्रेट करके आगे बढ़ जाना चाहिए या इस दिन सेलीब्रेट करने के साथ-साथ बच्चों को आत्म-अवलोकन करके अपनी बुराइयों को दूर करने का संकल्प भी लेना चाहिए.
मेरी समझ में नहीं आता कि हमारे शिक्षक एवं अभिभावक इस तरफ बच्चों का ध्यान क्यों नहीं आकर्षित कर पाते? सिर्फ नियमित किताबी पढाई करवाकर कैसे और कबतक वह एक सफल व्यक्तित्व को पैदा कर सकते हैं?
जिस प्रकार 1 जनवरी, नए साल पर बहुत से लोग तरह-तरह के संकल्प लेते हैं उसी प्रकार बाल-दिवस के दिन बच्चे कोई सकारात्मक संकल्प क्यों नहीं ले सकते?
अब समय आ गया है बच्चों का ध्यान इस तरफ आकर्षित करने का. इसकी शुरुआत हम आप मिल कर कर सकते हैं. इस शुरुआत से हम भावी पीढी का मार्गदर्शन करके उसको आगे बढने में सहयोग कर सकते हैं.
चाचा नेहरु को प्रणाम !
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